Tuesday, June 21, 2011

किसान मर जाता है डायरेक्टर फिल्म बनाता है

भाई साहब मैं एक गँाव का निवासी हूँ और मेरे गाँव में दो भी घण्टे भी बिजली नहीं आती खेत में कैसे पानी लगाये ,मैं खैर बड़े-बड़े षहरो में विजली की कोई कमी नहीं है वहाँ साम को लाईट जलनी षुरू होती है और सुबह तक जलती रहतीं है, लेकिन सरकार ये कहती है कि षहर में उद्योग है जिसे विजली चाहिए बिना विजली के षहर का कुछ नहीं हो सकता, दूसरा तर्क है यहाँ पर लाखो लोगो को रोजगार मिलता है क्या आप इनकी बात से सहमत नहीं है अगर है तो मैें आप को एक बता दू कि किसान के लिए उसकी जमीन फेक्टरी है जिसके अन्दर वो दिनों रात मेहनत करता है अपने खून पसीने से वो जीवन के लिए सबसे उपयागी वस्तु का उत्पादन करता है मतलब साफ जो जीवन के लिए सबसे उपयागी वस्तु है उसके लिए सरकार के पास विजली नहीं और जहाँ षहर में चप्पल- जूता और जहर पैदा किया जा रहा है उसके लिए सरकार के पास विजली है। आखिर क्या हो गया है इस व्यवस्था को कुछ समझ में नहीं आता जब देष की आधे से अधिक आबादी कृशि पर निर्भर है तो देष में उत्पादित विजली का आधे से अधिक हिस्सा गाँवो को क्यों नहीं दिया जाता कभी कभी लगता है संसद में बैठे लोग षायद गाँव से न आये हो और उनको गाँव के बारे में कुछ पता भी न हो इसलिए सोचता हूँ कि इनकेा जाकर समझाया जाय और लोकतन्त्र क्या है ये बताया जाए, अनाज का एक दाना पैदा करना इन गददारो के बस की बात नहीं है। क्योंकि गददारी सिर्फ संसद में चलती है खेत में नहीं मैें सोचता हूँ कि क्या षहर वाले अनाज भी खाते है अगर खाते तो अनाज की क्रद समझ पाते, एक सवाल है कि कौन अनाज नहीं खाता षहर में पैदा हर वस्तु हर आदमी उपयोग नहीं कर सकता है, यानि कि कारखानो में उत्पादित हर वस्तु किसी न किसी एक वर्ग तक ही निहीत है आप कह सकते है कि हर वर्ग के लिए तो नहीं है मगर किसान के खेत उत्पादित हर वस्तु हर वर्ग के लिए फिर भी इसका विकास होने की बजाए दिनो दिन विनाष होता चला जा रहा है एक तो तेल के दाम ज्यादा दूसरा विजली नही है तिसरा असली बीज नहीं चौथा असली खाद नहीं पाँचवा पषुओ का आंतक छठा भगवान की कृपा में कमी सातवाँ लागत के हिसाब से उचित मूल्य नही क्योंकि खाद फैक्टरी में पैदा होता है बीज भी कम्पनी पैदा करती है विजली पलांट में पैदा है और तेल बाहर से आता है तो सरकार क्या करें सरकार को तो पूरा टैक्स मिल ही जाता है टैक्स मिलने के बाद सरकार की गाड़ी चल जाती है सेनसेक उपर जाता है किसान मर जाता है डायरेक्टर फिल्म बनाता है फिल्म चल भी जाता है मगर किसान जहाँ होता है उससे भी पीछे चला जाता है कर्जा लेकर खेती करना बड़ा ही घाटे का सौदा है क्योंकि सबकुछ होने के बाद उत्पादन होगा इसकी कोई गांरटी नहीं है मगर संसद में कुछ बात होती है अक्सर घोटालो की रात होती है कोई चारा खाता है केाई वोफौर्स में जाता है कोई ताबूत फँस जाता है। कोई मधुकोणा तो कोई कलमाड़ी और ऐ राजा बन जाता है खैर ये लोकत्रन्त है यहा सबकुछ चल जाता है मेेरे एक मित्र है उनका कहना है कि संसद न चलने से देष का नुकसान है मैने उनसे कहाँ आप क्यों परेषान है चलता है तो कौन सा फायदा हो जाता है 63 साल से संसद ही चल रही है आज तक कुछ हुआ देष की जनता तब भी मर रही थी और आज भी जनता का सारा पैसा इस संसद को चलाने में ही खर्चा हो रहा है इन विभागो को बनाने में ही हो रहा, इस संसद के अन्दर एक काम अच्छा होता है वो है इस देष को लूटने का प्लान, स्वीस बैंक में कालाधन न हमारा है न आपका बल्कि इस देष के महान नेताओ का है जिन्होने भारत को लाकर चौराहे पर खड़ा कर दिया है मगर एक काम तो यहाँ पर और भी अच्छा है प्रधानमंत्री बनो विदेष जावो कर्जा लेकर आवो विकास देष का भले न हो पर कमीषन लाने का पूरा खाओ ताकि आपकी आने वाली पीढ़ी लगातार इस कुर्सी के लिए के लिए दावेदार बनी रहे, देष की 70 प्रतिषत आबादी दो वक्त की रोटी के लिए परेषान है वहीं मेरी सरकार विदेषी कम्पनीयो को भारत में बुलाने के लिए परेषान है कि कम्पनीया भारत में आयेगी और यहाँ के लोगो को रोजगार मिलेगा क्योकि पढ़ लिख कर कोई खेत में काम थोड़ी करेगा गाँधी का जो सपना था वो पूरा होता हमें दिख रहा है आम आदमी भूख से मर रहा है और सेनसेक आय दिन बढ़ रहा है। मनमोहन सिंह कहतें कि विकास दर तेज है और की जमीन छिन कर बनने वाला सेज है भूख से उद्योग पति मरेगा नहीं किसान मर जायेगा मगर क्या फर्क पड़ता संसद तो चल जायेगा क्योंकि राजनैतिक पार्टियो को पूँजीपति चलाते है जिसके एवज में देष की प्राकृतिक सम्पदा को लूट कर खाते है सब गलत सही हो जाता है जब संसद में विल पास हो जाता है इसलिए तो कहता हू घोटालो का विल पास करो अपने अपने हिस्सो की जल्द से जल्द माँग करो पता नही कब कौन मत्री कैसे मारा जायेगा कोई संसद में रोयेगा कोई सड़क पर चिल्लायेगा, इस लोकतन्त्र का हर गददार फाँसी पर चढाया जायेगा नीरा राडिया हो या वरखा सबको समझाया जायेगा क्या होता है लोकतन्त्र सबको बताया जायेगा

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